वीरों का पहरा
वीरों का पहरा
इस नभ जल थल पर जब तक जवानों का पहरा रहेगा।
यह देश है महफूज तब तक, शान से तिरंगा पहरा रहेगा।।
ये जो अमन जमीं पर, हँसके फलता फूलता है।
हिंसा का जहर उसमें, योंही नहीं घुलता है।
यों ही न टालो इसे गैरों पर दोष देकर
जहर के इस रंग में किसी अपने का राज गहरा होगा।
इस नभ जल थल पर जब तक जवानो का पहरा होगा।
आज की रात मुझपर हँसेगें चाँद तारे रात भर।
कि क्यों मैं जयकारे लगा रहा था किस बात पर।।
काश वो वीर जीते जी सम्मान पा जा़ते
इस सवाल का मन में जीवन भर लहरा रहेगा।
इस नभ जल थल पर जब तक जवानो का पहरा रहेगा।।
वे चुनते हैं आग से तपन , बर्फ से ठंडक ।
हाँ वे मातृभूमि का वीर सपूत हैं बेशक ।।
तू उन्हें तपाने गलाने की बात न कर
वे आग फूंकते ,जान फूंकते हैं देश के खातिर ।
समुंदर हैं वे जिसमें तिनका कहाँ तक ठहरा रहेगा।।
इस नभ जल थल पर जब तक जवानों का पहरा रहेगा।।
यह देश है महफूज तब तक शान से तिरंगा पहरा रहेगा।।