विचार
विचार
मनुष्य की प्रगति का कारण,
सदैव रहा है,
उनके विचार;
वह विचार,
जिनमें इतनी शक्ति है
कि बदल सके समस्त संसार।
उस प्रभु की लीला है अपार,
जिसने दिया है मनुष्य को,
इतना सुंदर,
मस्तिष्क जैसा उपहार।
ऐसा मस्तिष्क,
जो कर सके बहुत कुछ,
जैसे कभी कर दे,
कुछ धमाकेदार,
या उतपन्न करें,
विचारों का भंडार।
परंतु यह भी करता है,
उसी मस्तिष्क पर निर्भर,
कि अपने विचारों से,
फैलाना चाहता है खुशियाँ
या लोगों में डर,
कि अपने विचारों से,
बदलना चाहता है दुनिया
या बनाना चाहता है उसे,
एक खंडहर।
अब, विचार तो आते हैं,
मस्तिष्क में कई;
लेकिन, क्या हैं प्रत्येक विचार सही?
इसका उत्तर है, नहीं।
कुछ विचार सही होते हैं,
तो कुछ गलत,
इसलिए सही एवं गलत से,
होना चाहिए हमें अवगत।
मस्तिष्क तो भगवान ने,
सभी को दिया है,
प्रतिदिन उसमें अनेक विचार आते होंगे;
पर हमें इन विचारों का प्रयोग,
सदैव उचित-रूप से करना है,
अपनी कल्पना की,
ऊँची उड़ान भरनी हैं;
परंतु उस कल्पना में न खोकर,
इस जग को,
हमें एक बेहतरीन जगह बनानी है,
हमारे अस्तित्व हेतु।