वाह री मेरी किट्टी म्याऊं
वाह री मेरी किट्टी म्याऊं
सुबह का समय था,
मौसम था सुहाना !
सब महिलाएं थी व्यस्त,
दरअसल किट्टी पे था जाना !
हमने सोचा कि शायद कि किट्टी
होगा किसी पालतू बिल्ली का नाम !
और उसकी मुबारक सालगिरह पे
रखा होगा यह शुभ काम !
वहां पहुँच कर देखा,
कि विराजमान थी बहुत सी नारियां !
कुछ ने पहन रखे थे सूट,
तो कुछ ने पहन रखी थी साड़ियां !
जाते ही बातों की ट्रेन चल पड़ी !
चलती ही गयी किसी स्टेशन
पे रुकी ही नहीं !
फिर परोसे गए, बटाटा बड़ा खीर
जैसे लज़ीज़ पकवान !
जिसे खाने के लिए सिर्फ 2 मिनट
देवियों ने बंद रखी अपनी जुबान !
फिर खेले गए अंताक्षरी,
तम्बोला जैसे बढ़िया खेल !
तब कई देवियों का हुआ
आकर्षक उपहारों से मेल !
हमने देखा कुछ की उम्र थी कम !
और कुछ थी 60 से उपर की आंटियां !
शायद अब वो वक़्त नहीं रहा कि
मंदिर में जाकर बजाएं वो घंटियां !
वाह किट्टी तुम तो अब बन गयी हो
आधुनिकता की मूरत !
हर कोई देखना चाहता है,
तुम्हारी प्यारी प्यारी सूरत !
चुपचाप से तुम आती हो,
मंद मंद मुस्कुराती हो !
पैसे रूपी दूध को पीकर
झट से भाग जाती हो !