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seema Sharma

Drama

4.0  

seema Sharma

Drama

वाह री मेरी किट्टी म्याऊं

वाह री मेरी किट्टी म्याऊं

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सुबह का समय था,

मौसम था सुहाना !

सब महिलाएं थी व्यस्त,

दरअसल किट्टी पे था जाना !


हमने सोचा कि शायद कि किट्टी 

होगा किसी पालतू बिल्ली का नाम !

और उसकी मुबारक सालगिरह पे

रखा होगा यह शुभ काम ! 


वहां पहुँच कर देखा,

कि विराजमान थी बहुत सी नारियां !

कुछ ने पहन रखे थे सूट,

तो कुछ ने पहन रखी थी साड़ियां ! 


जाते ही बातों की ट्रेन चल पड़ी !

चलती ही गयी किसी स्टेशन

पे रुकी ही नहीं !

फिर परोसे गए, बटाटा बड़ा खीर

जैसे लज़ीज़ पकवान ! 


जिसे खाने के लिए सिर्फ 2 मिनट

देवियों ने बंद रखी अपनी जुबान ! 

फिर खेले गए अंताक्षरी,

तम्बोला जैसे बढ़िया खेल !


तब कई देवियों का हुआ

आकर्षक उपहारों से मेल ! 

हमने देखा कुछ की उम्र थी कम !

और कुछ थी 60 से उपर की आंटियां !

 

शायद अब वो वक़्त नहीं रहा कि

मंदिर में जाकर बजाएं वो घंटियां !

वाह किट्टी तुम तो अब बन गयी हो

आधुनिकता की मूरत !


हर कोई देखना चाहता है,

तुम्हारी प्यारी प्यारी सूरत ! 

चुपचाप से तुम आती हो,

मंद मंद मुस्कुराती हो !


पैसे रूपी दूध को पीकर

झट से भाग जाती हो ! 


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