उसने कहा
उसने कहा
उसने कहा ..….
तुमने पढ़े हैं ग्रन्थ वेद और भागवत
मैंने ..कहा .....
बस ढाई आख़र प्रेम को ...
समझ लूं ...ज़रा ....
उसने कहा तुम योगसाधना में
रह सकती हो लीन ...
मैंने कहा ......
अभी तो भक्ति में
हो रही हूँ तल्लीन …..
उसने कहा गम्भीर ज्ञान
कब अपनाओगी ?
मैंने कहा...
सहजता को ही गले लगाऊंगी!
क्योंकि सहज साधना से ही ...
भक्ति मार्ग को अपनाकर ...
स्वयं के भीतर ...प्रेम से पूरित
परम...आत्मा को जाना जा सकता है ।
सरल मार्ग से ही सूक्ष्म ज्ञान को अपनाया जा सकता है!