उसे पसंद थी ये रात
उसे पसंद थी ये रात
उसे पसंद थी ये रात,
रात की ये हवा और
उस पे ये खामोशी
ये तारे टिम-टिमाते
ये फूल मूरझाते
ये धनेरा अंधेरा
ठहरी पर ये
कुत्तों का पहरा
पूरे दिन में होता था
उसे बस रात का इंतजार,
ज़हन में थे उसके
जिंदगी से कई सवालात
सुबह की पहली किरण
उसके चेहरे पे खिलती थी
रात उससे ही हो के गुजरती थी।

