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Nand Kumar

Inspirational

4  

Nand Kumar

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उपकारी वृक्ष

उपकारी वृक्ष

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वृक्ष बड़े उपकारी होते, 

औषधि फूल और फल देते।

मृदा क्षरण को रोके रहते, 

वर्षा करा वायु दे सेते।

पर क्या बदले मे कुछ लेते ? 


कुछ स्वार्थी जन ऐसे होते, 

बन कृतघ्न उनको दुख देते।

तुच्छ लाभ हित उन्हे कटाते, 

निज विनाश को स्वयं बुलाते।।


इसका ही परिणाम हुआ, 

है चक्र प्रकृति का चकराया।

भूकंप बाढ दावानल ने , 

आकर असंख्य जन को खाया।।


अब भी चेतो हे जीव श्रेष्ठ, 

वरना पीछे पछताओगे।

हरियाली भू की हरते हो, 

एक दिन समूल मिट जाओगे।।


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