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उनके जज़्बात

उनके जज़्बात

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तेरे जज़्बात को अब तक नहीं मैं पढ़ पाया 

बिन तेरे है डगर मुश्किल, न आगे बढ़ पाया

छुड़ा के हाथ तुम मुझसे, गए रुसवा होकर

प्रेम की सीढ़ियों पर एक पग ना चढ़ पाया

तेरे जज़्बात को....


तेरी यादों में सनम आँख मेरी भर आई

धड़कनें रुक गई हैं, दर्द की बदली छाई

लहर सी उठ रही है दर्दे दिल समंदर में

मुझे भूकंप सा झकझोरता है अंदर से

बड़ी उम्मीद थी मुझ को तुम्हारे वादों पर

मगर अब टूट के वो रह गई हैं यादों पर

मिलन की आस थी पर आप सनम छोड़ गए

स्वयं वादे किए और स्वयं ही तुम तोड़ गए

दिलों में चल रही हलचल से नहीं लड़ पाया

तेरे जज़्बात को.....


जला के रख दिया तूने मेरी निशानी को

कोई पल पल तड़पता एक बूंद पानी को

अरे पगले अगर जाना था तो बता देता

खुशी से मौत मैं अपने गले लगा लेता

मगर धोखा नहीं मंज़ूर भले मर जाऊँ

मैं अपने वादों से कैसे भला मुकर जाऊँ

मुझे अफसोस है कि आप सनम छोड़ चले

मैं अकेला बचा इस नीले रंग गगन के तले

मिला क्या आपको लेकर ये जिंदगी मेरी

तुम्हीं मेरे ख़ुदा और तुम ही बंदगी मेरी

पर नहीं आपको अपने जिगर में मढ़ पाया

तेरे जज़्बात को....


महज दौलत के चलते आप सनम दूर हुए

किसी को तोड़कर औरों के संग में चूर हुए

अरे पगले तुझे दौलत तो मयस्सर होगी

मगर दिल ना मिलेगा देख ये कसर होगी

मेरा दिल तोड़कर गर है मिली खुशी यारा

तो तनिक ना है ग़म लगता है मुझको भी प्यारा

मिटा के आशियां मेरा, तू सिकंदर ना बन

जिताया था तुम्हें अब आज समर्पित है तन

तेरा ये देव तो पत्थर को भी भगवान कहे

न कोई और बस एक तू ही मेरे दिल में रहे

हमारे प्रेम का ध्वज फिर भी नहीं गड़ पाया

तेरे जज़्बात को.....


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