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Mahira Choudhary

Romance Others

4.3  

Mahira Choudhary

Romance Others

उँगलियों पर तेरे छल्ले

उँगलियों पर तेरे छल्ले

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कि मोहब्बत में हैं दर- बदर भटकती हुईं! 

ये राहें भी हैं, मंजिलों से दूर चलती हुईं!! 


फ़कत इक लम्हे में, तुझे भुला सकती हूँ मैं! 

मगर मेरी साँसों में हैं, तेरी साँसे बसी हुईं!! 


रस्म-ए-उल्फ़त में, निशानियों की मत पूछ! 

रूह से जिस्म तलक, हैं तेरी यादें सजी हुईं!! 


उँगलियों पर तेरे छल्ले, अपनी छाप छोड़ गए! 

मेरी उँगलियों से हैं, तेरी उँगलियाँ उलझी हुईं!! 


फिर इक बार टुकड़ा- टुकड़ा हुआ है दिल!

दिल में रखीं तस्वीरें हैं, पन्नों सी बिखरी हुईं!!


अब आँखों से आँसुओं की, बरसात नहीं होती! 

बीते लम्हों से हैं जैसे, मेरी पलकें सहमी हुईं!!


क्या अंदाज़-ए-मोहब्बत था, दिल को तोड़ देना! 

वादों से किया किनारा, जुबाँ कसमें तोड़ती हुईं!! 


तौबा, "मीत" तेरी शिकायतें ख़त्म नहीं होतीं!

ख्वाहिशें अब भी, ना जाने कहाँ हैं दबी हुईं!!



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