उम्मीद
उम्मीद
एक औरत सब कुछ कर सकती है, बस एक उम्मीद के सहारे।
यही सोचते हुए ऑफिस से निकाल ही रही थी,
तब में किया क्यों न ये शाम बिताई जाए समंदर किनारे?
मुंबई की सड़के और ट्रैफिक, मानो जैसे बेस्ट फ्रेंड्स हो,
कभी अलग ही नहीं होते ।
एक लड़की और उसके सपने भी ऐसे ही बेस्ट फ्रेंड्स जैसे होते हैं,
चाहे बड़े हो या छोटे।
बचपन में कुछ सपने होते हैं, कुछ ख्वाहिशें होती हैं,
बड़े होते होते मन में कहीं दबी रह जाती है।
परिवार की कुछ और उम्मीदें,
समाज की अपनी बातों में अपने सपने धुंधला से जाते हैं।
पर तब भी पता नहीं कैसी और क्यों,
एक उम्मीद की मुस्कान सदा मन में छिपकर देखत
ी रहती है।
दिन भर थक हार कर काम से घर आने पर भी,
अपने हाथों से भोजन करवाने में अलग ही खुशी मिलती है।
बचपन में खुद की ज़िद भुला कर, आज
बड़े होने पर अपने बच्चों की हर ज़िद पूरी करना।
पहले अपने परिवार को ऊपर रखना और अब एक नए परिवार को अपना बनाना।
आते जाते गल्ली, मुहहाले या नुक्कड़,
यहां तक कभी कभी परिवार वालों के ताने भी हंस कर सुन लेना।
खुद का दर्द किसी न किसी बहाने से छिपा लेना,
तब भी हिम्मत की मिसाल बन कर दुनिया को दिखा देना।
अपनी पूरी जिंदगी हस्ते हुए, सबको खुशी बांट ते हुए वो जीती है
एक लड़की सच में बस एक उम्मीद के सहारे अपनी पूरी ज़िन्दगी गुज़ार लेती है।