STORYMIRROR

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

4  

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

उडियाना छंद...

उडियाना छंद...

1 min
346

१२,१०‌मात्रा अंत द्विकल से

हिय से करो सत्कार,सभी दिल से मिलें ।

कॉंटों भरा यह बाग,फूल भी तो खिलें ।।

सबका अपनत्व भाव,भरा जीवन रहे ।

रिश्ते हों प्रेम भरे,धार रस की बहे ।।

अनुभव युक्त साधना,रखो बस क्षेम रे ।

रखिए सभी पर नेह,मिले बस प्रेम रे ।।

जीवन दे रही खुशी,मान रखो उसका ।

रोकर कुछ मिला नहीं,कहो गया किसका ।।

संसार के सब लोग,सदा सुख में रहें।

दिल में रख प्रेम भाव,आज अपना कहें।।

केवल खुशी हो नहीं,जरा गम को सहें।

मिलकर वतन में संग,नदी जैसे बहें।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational