उड़ान क्या ?
उड़ान क्या ?
तू पहचान खुद को,
ठान ले मन को,
समझ ले खुद को,
तो ख़ुद से भी मिलना क्या,
हौसला जमीन पे,
तो आसमान मे उडान क्या?
तुझे जीना है याद कर,
तू सोच ले बुनियाद कर,
समय का एहसास कर,
तो खुद से भी मिलना क्या?
हौसला जमीन पे,
तो आसमान मे उड़ान क्या?
तू ज़रा सी मेहनत कर,
थोड़ा-सा सब्र कर,
खुद से वादा कर,
वरना जीने की वज़ह क्या?
हौसला जमीन पे,
तो आसमान मे उड़ान क्या?
तू चलता जा,
खुद को बताता जा,
तेरा कल छोटा तो,
जीने का मक़सद भी क्या?
हौसला जमीन पे,
तो आसमान मे उडान क्या?
आयेंगी हज़ारों परेशानियां,
तू उसको मिटाता जा,
कर दिखा इक दिन,
वरना तेरी जीत भी, जीत क्या?
हौसला जमीन पे,
तो आसमान मे उड़ान क्या?