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Sandhya Garg

Abstract Others

4.0  

Sandhya Garg

Abstract Others

उड़ान भरते कलमकार

उड़ान भरते कलमकार

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लिखने वाले कलमकार

कभी तन्हाइयों में तन्हा

नहीं होते

अपने इर्द गिर्द शब्दों का

जाल बुनते

खोजते रहते उन शब्दों को

जो उसकी रचना को

खूबसूरत वर्ण दे सके

रंग-बिरंगे विचारों का

मिलन वह करते

उतारते हैं रचनाओं में

दिल और मन का

हर कोना


मन के भावों की उड़ान

भरते अपने बुलंद हौसलों से

वह अकेले नहीं होते

अपने चारों ओर

शब्दों का संसार बसाते

खामोशी का शब्दों में

ही बखान करते

विचारों से स्वतंत्र

काल्पनिक प्रवृत्ति के होते

तन्हाइयों में उनके विचार 

पंछी की तरह उड़ान भरते

वह सामाजिक दृष्टिकोण भी

बदलने का कौशल रखते

असीम शांति और सुकून 

प्राप्त करते

रचना को एक नया

रंग रूप देकर


   


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