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Saurav mishra

Romance

4.0  

Saurav mishra

Romance

तू

तू

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एक चुपचाप सी रात की

खिलखिलाती सुबह है तू

मन के गहन अंधकार में 

रौशनी कि जिरह है तू 

एक लंबे पतझड़ के बाद

चहकती सी कली है तू 

वीरान पड़ी ज़िंदगी में

महफ़िल वाली खलबली है तू 

मेरी आन भी तू मेरी बान भी तू 

मेरे वजूद की पहचान है तू 

मेरे परिपक्वता भरे लेख की

शीर्षक एक नादान है तू 

मेरे बिखरे हुए भाग्य के

हर कोने की साज़ है तू

कैसे जीयूं तुझ बिन मेरे 

अब जीने का अंदाज़ है तू


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