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Saurav mishra

Inspirational

4.7  

Saurav mishra

Inspirational

तलाश अपने अस्तित्व की

तलाश अपने अस्तित्व की

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कर अपनी सोच बुलंद, ख्वाहिशों को बढ़ाकर

छू ले तू आसमां, उड़कर नही ऊँचाई बढ़ाकर

तेरे अंदर सो रहे खुद का वजूद जगाकर

अपनी क़िस्मत नहीं, खुद को आजमाकर


ये क्या सिमटा हुआ तू युँ पोखरों में 

इंतजार में तेरे पुरा समुंद्र है 

क्यों तू समझता तेरी काबिलियत बड़ी मासूम है

ज़रा झांक अपने अंदर, उसका रूप बड़ा रौद्र है


मत जी तू तृष्णा का वास्ता के लिए

मत बन पानी बेबुनियादी गुलिस्तां के लिए

मत बन पात्र तू वही पुराने किस्सों कि

तू बना है जीने एक नई दास्तां के लिए


बना एक लक्ष्य अपने संकल्प को अखंड कर

रोके जो कोई, उसे साबित तू पाखंड कर 

आसमां में गूंजे तेरे नाम कि प्रतिध्वनि

यूँ एक प्रयास तू अब प्रचंड कर।


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