तू क्या जाने..
तू क्या जाने..
तू क्या जाने...
तेरी खामोशी से प्यार होने लगा है,
तेरी आंखो से चाहत झलकने लगी है,
इस कदर तूने दीवाना बनाया कि,
तेरी इक नजर से दिल घायल होने लगा है ।
तू जब हंसे तो मौसम बदलने लगा है,
तेरी चाल से दिल धड़कने लगा है,
उन तेरी हाथों की लकीरों में,
ये सरफिरा नसीब ढूंढ़ने लगा है ।
कुछ बातें तुम भी कहो,
जो मैं वर्षों से सुनना चाहता हूं,
मेरी कविताओं में नहीं,
हकीकत में तेरा हाथ थामना चाहता हूं ।
वादा करता हूं रहूंगा तेरे साथ में
जब तक है जान,
आए अगर तेरी आंखों में आंसू,
तो जान भी है कुर्बान ।।

