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Neeraj pal

Romance

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Neeraj pal

Romance

तुम्ही को देखता हूँ।

तुम्ही को देखता हूँ।

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जिधर भी जाती नजर हमारी ,तुम ही को देखता हूं मैं,

धरती से क्षितिज तक ,वन और उपवन तक,


सोने ,चांदी की कीमत तो क्या, हीरे की औकात नहीं,

जिधर भी जाती नजर हमारी ,तुम ही को देखता हूं मैं।


फूलों की खुशबू में ,उषा की लालिमा में भी,

अपनी हर सांस में ,प्राणों की तो कोई परवाह नहीं,

जिधर भी जाती नजर हमारी ,तुम ही को देखता हूं मैं।


गगन की लालिमा में भी ,निशा की कालिमा में भी,

पसारे बाँह व्याकुल है, समाज की भी कोई परवाह नहीं,


जिधर भी जाती नजर हमारी, तुम ही को देखता हूं मैं।


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