तुम्हारी निगाहें तो कुछ और ही
तुम्हारी निगाहें तो कुछ और ही
तुम्हारी निगाहें तो कुछ और ही कहती है .......
तुम मुझे अपने निगाहों में समा लो
मुस्कुरा के तेरी कामिनी ये कहती है ।
तुम मुझसे यू शरारत मत करो
ये बहारें भी तो कुछ और ही कहती है ।
मुझे तुम अपनी बाँह में झूले झुलाओ न
मुझको तुम इतना अब सताओ नही
मेरा प्यार एक समन्दर है तुझको पता नहीं क्यों ये
मुझे तू अपने कलेजे से लगा ले
क्योकि मेरे दिल में तेरी सूरत बसती ।।
मेरे दिल का तु ही चिरागे
मेरे मन मे जहाँ बस है
ए दिल तुमको नही भूला और
तो भूले तो कैसे भी ....मेरी जान
तेरा ये जो सुहाना रूप है मनमोहक नैन है
तु बता दे बस अपने ही जुबाँन से की
मेरे जीवन में कोई दूसरी नहीं है
मैं तो उस दीप सी भी नहीं हूँ
तुम मेरे ईश दिवाकर हो
सिन्धु भव में मेरे नैया पड़ी
तुम मेरे सुमन खिबैया हो
छोड़ मै तुझको छोड़ कर जाऊँ तो
कहाँ जाऊँ ये बता मुझे तु
मेरी कश्ती को तु ही उबारो नाथ अब।