तुम मुझको राग लगती हो..
तुम मुझको राग लगती हो..
जवां के भार से लचकी हुई इक शाख लगती हो,
कभी काली घटा सावन की कभी आग लगती हो।
चांद पूनम- सा चेहरा है, कटारी से नयन तेरे,
मैं तुझको झूम कर गाऊँ तुम मुझको राग लगती हो।।

