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DrPriya Sufi

Romance

4.8  

DrPriya Sufi

Romance

तुम कितने प्यारे लगते हो...!

तुम कितने प्यारे लगते हो...!

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सुनो

तुम्हें पता है

जब तुम गहरी नींद की

बेख्याली में

कुनमुनाते हो


जाने क्यों करवट सी

बदलते बस यूं ही

मेरे सीने से लिपट जाते हो

तो कितने प्यारे लगते हो..


वो उस दिन

हल्की सी बुंदिया में

भीगते सुस्ताते

आधी नींद आधी तन्द्रा

आधी झपकी में 

बतियाते


मेरे ही कांधे पर

सर रखे यूँ ही

मुझ में समाते

तुम कितने प्यारे लगते हो।


अभी देखो न

मेरी गोद में सर रखे

जाने कौन सी कहानी सुनाते

मेरी हथेलियों को

गहरा सा चुम्बन थमाते

फिर बेचैन से मेरी

बाहों में समाते


जाने क्यों बहक कर

मेरे अधरों तक चले आते

फिर बस यूं ही

प्याले सा भर कर

एक ही साँस में

मुझे पीते पिलाते

तुम कितने प्यारे लगते हो।


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