तुम जब नज़र आती हो
तुम जब नज़र आती हो
जब तुम छत पर अपने
कपड़े सुखाने आती हो,
वो जब बच्चों के खेल में
तुम भी खो जाती हो,
ज़रा सा हवा के झोंके पर
जो दुपट्टा सम्भालने लगती हो,
जब सिर झुकाये चलते-चलते
बिखरे बाल बनाया करती हो,
नज़र कभी मिल जाये तो
मुस्कुरा के शर्माया करती हो,
तब मेरा
दिल वहीं थम जाता है
साँस यूँ ही रुक जाती है।