STORYMIRROR

Ashwini Yadav

Drama Fantasy Others

3  

Ashwini Yadav

Drama Fantasy Others

तुम जब नज़र आती हो

तुम जब नज़र आती हो

1 min
28.2K


जब तुम छत पर अपने

कपड़े सुखाने आती हो,

 

वो जब बच्चों के खेल में

तुम भी खो जाती हो,

 

ज़रा सा हवा के झोंके पर

जो दुपट्टा सम्भालने लगती हो,

 

जब सिर झुकाये चलते-चलते

बिखरे बाल बनाया करती हो,

 

नज़र कभी मिल जाये तो 

मुस्कुरा के शर्माया करती हो,

 

तब मेरा

दिल वहीं थम जाता है

साँस यूँ ही रुक जाती है।

 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama