Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Abhay Pandey

Abstract Romance

4  

Abhay Pandey

Abstract Romance

तुम बिन

तुम बिन

2 mins
525



(१)

तुम मेरे जीवन का आधार हो

तुम ही तो मेरा प्यार हो,

तुम बिन मैं कैसे जी पाऊंगा

तुम बिन मैं तड़प तड़प के मर जाऊंगा।

(२)

तुम ही मेरा जीवन का साज हो

जिसे मैं सारी दुनिया से छुपाता तुम ही वे राज हो

मैं गला हूँ तो तुम मेरी बुलंद आवाज़ हो

तेरे लिए तो मैं सारी दुनिया से लड़ जाऊँगा

तुम बिन मैं तड़प तड़प के मर जाऊँगा।

(३)

तुम बिन मैं कैसे लिखूं कोई सुंदर रचना

तुम से ही है अब मेरा जीवन बचना

कैसे बयां करूँ कि तुम मेरे क्या हो

जिसे भगवान से माँगा करता था तुम मेरे वे दुआ हो

तुम्हारे लिए मैं हर हद तक गुजर जाऊँगा

पर तुम ही सोचो तुम बिन मैं कैसे जी पाऊंगा।

(४)

तुम मेरा हर वो छंद हो

जिससे मैं अपने जीवन के गीत सजाता

तुम मेरे हर वो बन्द हो

अब बता तेरी यादों में मैं कैसे जी पाऊंगा

ये सच है तुम नही हो तो तुम बिन

मैं तड़प तड़प के मर जाऊंगा।

(५)

तुम मेरा हर वो ख़्वाब हो।

जिसे मैं सोते जागते देखता हूं तुम मेरे वो ताज हो।

मैं शाम हूं तो तुम शहर हो

मैं समय कि वो सुई हूं और तुम समय का

हर वो पहर हो

तुम को अपने से अलग होने नहीं दूँगा

आखिरी वक्त में भगवान से लड़ जाऊँगा

मगर तुम को सोने नहीं दूँगा।

तुम से बिछड़ कर मैं किस जहां में जाऊँगा।

जरा तुम भी बताओ तुम बिन मैं कैसे जी पाऊंगा।


तुम मेरे जीवन का आधार हो

तुम ही तो मेरा प्यार हो,

तुम बिन मैं कैसे जी पाऊंगा

तुम बिन मैं तड़प तड़प के मर जाऊंगा।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract