नारी शक्ति की व्यथा
नारी शक्ति की व्यथा
भारत माता की सौगंध खाकर, आओ आज ये शपथ लेते है!
नारी शक्ति पर आंच ना आने देंगे, आज ये बचन देते हैं।।
जहां नारी, आदि शक्ति रही, ये हमारा इतिहास गवाह है।
क्या, आज हम इतने लाचार हो गए हैं, जहां नारी शक्ति तबाह है।।
आखिर क्या दोष था, उस मासूम का, जिसको कुछ हैवानों ने बीच सड़क में ख़ंरोचा है।
लानत है आप की हमदर्दी में, कल आप के साथ भी ऐसा हो सकता है क्या आप ने कभी ऎसा सोचा है।।
भारत माता कि सौगंध खाकर............!
…आज ये बचन देते हैं।।
आखिर कब तक,हम अपने प्रतिशोध की ज्वाला का दीप, दूसरे के आश जलाएंगे।
सड़क पर मोमबत्ती जलाने की वजह, बन्द करा दो, वो सारे सरकारी दफ़्तर,
फिर देखो ये सरकारी नुमाइंदे, नारी को आत्मरक्षा में गोली चलाने का भी कानून बनाएंगे।।
अगर रानी लक्ष्मी बाई ने, आत्मसम्मान में ना हथियार उठाया होता।
तो फिर नारी को एक बार कमजोर बता कर, उनकी वीरता की गाथा को ठेस पहुंचा या होता।।
जहां दो सेकण्ड नही लगते,किसी मासूम को जलाने में।
पूरी जिन्दगी निकल जाती, इस जमाने में उन दरिंदों को सजा दिलाने में।।
अफ़सोस की बात है कि , हम आज भी घुट घुट कर जीते हैं।
चलो फिर एक बार जाग्रत करें, मां काली की उस नारी शक्ति को।
जहां एक नहीं, हजार सर काट कर, रक्त की एक एक बूंद पीते हैं।।
भारत माता कि सौगंध खाकर, आओ आज ये सपथ लेते हैं!
नारी शक्ति पर आंच ना आने देंगे, आज ये बचन देते हैं।।