तुम आए तो
तुम आए तो
पत्थर यूं ही लावारिस बिखरे थे
मेरी राहों में तुम आए तो
बड़े करीने से मेरे हर कदम पर
उन्हें सजा दिया।
यूं तो उलझने बहुत थी इधर उधर
फंसी हुई तुम आए तो
बड़ी तरतीब से मेरे आगे एक
कतार में उन्हें लगा दिया।
यह जिंदगी जो अलग-अलग रंगों में
डूबी हुई थी तुम आए तो
बड़ी सफाई से मेरे लिए उसे
एक रंग में ढाल दिया।
आँसू तो बहुत थे छिपे हुए मेरी
आँखों में तुम आए तो बड़ी कला से
मेरी आँखों से
निकाल उन्हें एक लड़ी में पिरो दिया
बेखबर थी मैं हर आईने को
सच समझती थी तुम आए तो
बड़ी बारीकी से हर आईने को
तोड़ कर मुझे खुद से रूबरू
करा दिया।