तु पागल बन ...
तु पागल बन ...
तू पागल बन, यहाँ अपवित्र भूतों का साया है,
दुनिया की फिक्र छोड़, ये सब मोह माया है
तू अपनी मौज बन, यहाँ मेने खुद को गेर मौजूद पाया है,
दुशरो से आशा छोड़, मेने खुद को अपनी दुनिया का बेताज बादसाह बनाया है
तू वर्तमान बन, यहाँ मेने लोगो को अपनी परिस्थितियों पे सवाल उठाते देखा है,
गुजरा हुए और आने वाले कल की फिक्र छोड़, मेने खुद को ध्यान से सजाया है
तू पक्का दोस्त बन, यहाँ मेने लोगो को वक़्त आने पर साथ छोडते जाना है,
दुशरो से मदद की आशा छोड, खुद को अपना मददगार फरमाया है
तू प्यार बन, यहाँ जीत ने हर जगह सेवार्थी लोगों जाना है,
दूसरों से नफरत छोड़, मैंने शिव को अपना खुदा बनाया है।
