मैं वो कवि हूँ जिसे ...
मैं वो कवि हूँ जिसे ...
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मैं वो कवि हूँ जिसे ना किसी की आस है ,
बस वही लिखता हूं जो लगता जिस पल में खास है ...
हाँ मैं वो कवि हूँ जिसके कोई नजदीक रहे या दूर उससे फर्क नहीं पड़ता,
बस प्यार उसी को देता हूँ जो रहता मेरे पास है ...
हाँ मैं वो कवि हूँ जो धर्म और जातिवाद में नहीं मानता ,
उस ही की वजह से टूटता भाई चारा, यही हमारा इतिहास है ...
हाँ मैं वो कवि हूँ जो जीना सिखाता है ,
बस ये ज्ञान का झरना उसी को दिखाता हूँ जो होता बिंदास है ...
हाँ मैं वो कवि हूँ जो हमेशा सबका शुक्रगुजार रहता है ,
बस सब में से से कुछ ना कुछ सीखने को मिलता खास है ...
