STORYMIRROR

Akhouri Aman Kumar

Tragedy

2  

Akhouri Aman Kumar

Tragedy

ट्रेन छूट जाती है...

ट्रेन छूट जाती है...

1 min
14K


जब भी ट्रेन प्लैटफॉर्म पर आती है,

मैं देखता हूँ कि

आगे निकले डब्बों में जगह थी

और मैं आकर पीछे खड़ा हो गया हूँ।


सोचता हूँ कि

कल से आगे जाकर ही खड़ा रहूँगा,

पर यह बात भी तभी याद आती है

जब रोज़ सामने से ट्रेन गुज़रती है।

यह भी एक तरह का ट्रेन का छूटना ही तो है ना ?

किसी का छूट जाना कितना भयावह होता है ना ?


गर्मियों का इस तरह बितना

की कभी सर्दियाँ आएगी ही नहीं

और इंतज़ार करना बारिश का।


बूढ़े हो जाना ये कहते हुए की

बहुत नायाब होती है ज़िंदगी, किसी के इंतज़ार में।


भयानक बातें हैं ये,

पर मेरी ट्रेन रोज़ छूट जाती है...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy