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Tanha Shayar Hu Yash

Abstract

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Tanha Shayar Hu Yash

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ठिठुर गया दिन

ठिठुर गया दिन

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सिहर गई रात, ठिठुर गया दिन

भटकती फिरे नज्म, खोया खुर्शीद आप। 


ना जाने दिन दिल को क्या हुआ

जो नज़र फैली थी दूर तक ,

ढूंढ लेती थी हर ख़्वाब को 

पास भी नज़र नहीं आये आप।


सिकुड़न में अजाब है,

और अदम भी है

भटकते अंजुमन में हम,

अफ़सुर्दा है आप।


जिस तरह रुलाया प्याज़ ने,

उसी तरह रुलाया सर्द आज ने,

ढूंढ़ने से भी ना मिले नरम हवा

और जम गया पाँव भी और जिस्म आप। 


सिहर गई रात, ठिठुर गया दिन

भटकती फिरे नज्म, खोया खुर्शीद आप। 


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