तस्वीर हमारे फेसबुक की
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मित्रों की टोलियाँ
फेसबुकों के पन्नों
में उभरने लगीं,
हमने भी सोचा
क्यों ना अपनी भी
टोली बनायी जाय।
यहाँ इन बातों से
हमें क्या लेना
शारीरिक परिक्षण
की बात नहीं
ना उम्र का तकाजा है।
हल्क हो या लीलिपुट
हमें तो लोगों को
बताना है कि हम भी
सर्जिकल स्ट्राइक
कर सकते हैं।
हम नहीं देखते
आप हैं कौन ?
रहते कहाँ हैं ?
आपके रण कौशल से
हमको क्या लेना ?
विचारों के मेल,
सहयोग की भावना ,
गोपनीयता
मेल जोल की बातें
पुरानी हो गयीं
हम भी कह सकेंगे
देख लो दुनिया के लोगों,
हमने भी टोली बनायी है
हमारे बंधुओं को छूट है
गोली मरने की,
इनको हम ग्रेनेड,
बम और परमाणुओं से
सुसज्जित कर रखा है।
आक्रमण, बस,
आक्रमण करते रहो
तुम ना देखो फेसबुक,
व्हाट्सएप्प, मैसेंजर
परमाणुओं की बारिस करते रहो"
हम नहीं देखेंगे कि कौन
किसमें तल्लीन है?
किसने अपने एप्प को
मोर्चा बनाया है
इससे हमको क्या?
हमने तो अपने
लोगों को कह दिया है
आक्रमण करते चलो
आक्रमण करते चलो।