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AJAY AMITABH SUMAN

Classics

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AJAY AMITABH SUMAN

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तरुणी माँ-पार्ट 2

तरुणी माँ-पार्ट 2

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दिव्य सलोनी उसकी मूर्ति ,

सुन्दरता में ना कोई त्रुटि,

मनोहारी, मनोभावन करुणा,

सबके मन को भाती है,

धरती पे माँ कहलाती है। 


मम्मी के आँखों का तारा,

पापा के दिल का उजियारा,

जाने कितने ख्वाब सजाकर,

ससुराल में जाती है,

धरती पे माँ कहलाती है।


पति के कंधों पे निश्चल होकर,

सारे दुख चिंता को खोकर,

ईश्वर का वरदान फलित कर,

एक संसार रचाती है,

धरती पे माँ कहलाती है।


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