तलाश
तलाश


कल पूरी रात मैं सोया रहा ,पर आंखों में नींद न थी ,
कल पूरी रात मैं रोता रहा ,पर आंखों में आंसू न थे ,
कल पूरी रात मैं परेशान था ,और परेशानी की कोई वजह न थी ,
आज सवेरा हुआ तो मैं जग रहा था ,पर आंखों में नींद थी ,
मैं हंस रहा था ,पर आंखों में आंसूं थे ,फिर भी मैं परेशान था ,
और परेशानी की वजह न थी ,
तब एहसास हुआ खुशी कस्तूर है, और परेशानी कस्तूरी मृग
खुशी चाँद है, और परेशानी चकोर ,
खुशी पानी है, और परेशानी प्यास,
दोनों साथ हैं ,दोनों पास हैं ,दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं ,
पर दोनों का अपना नसीब है दोनों एक दूसरे को खोजते रहते हैं .
मैं सोचता हूँ ,अगर ये तलाश न होती तो फिर
शायद दोनों का अस्तित्व तो होता
हर तरफ़ शान्ति भी होती, ज़िन्दगी भी होती,
और मैं जिंदा न होता .............