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Asha Dileep

Abstract

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Asha Dileep

Abstract

तलाश बचपन की

तलाश बचपन की

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तलाश बचपन की किया करते हैं 

नौनिहाल जो झोपड़ी मे रहा करते हैं,

रोटी की रोज दिहाड़ी भी करते हैं

पेट मे भूख की जली ज्वाला को

पसीने की बूंदे बहा के ठंडा करते हैं,

माँ बाप के संग जीवन की गाड़ी को 

कोमल हाथो से कंधो का सहारा देते हैं,

तलाश बचपन की किया करते हैं 

नौनिहाल जो झोपड़ी मे रहा करते हैं!

बेबसी की कड़ी से बंधे रहते हैं

सपनो का बड़ा सा खजाना लेकर

आसमान को छूने का जज़्बा रखते हैं

नंगे पैर, चन्द कपड़ो से तन ढके रहते हैं

मन का मान ओर स्वाभिमान न खोते हैं

निर्धारित गन्तव्य तक पहुचने के लिए 

जीवन के समर मे कर्मो की आहुति देते हैं

तलाश बचपन की किया करते हैं 

नौनिहाल जो झोपड़ी मे रहा करते हैं


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