तिरंगा 🇮🇳🇮🇳
तिरंगा 🇮🇳🇮🇳
मेरी माँ का ये आँचल, तिरंगा जो कहलाता है
हवाओ की, क्या औकात, जो लहराए तिरंगे को
इसे तो देश के सैनिक की सांसे ही लहराती है
पावन हवा हो जाती है, इसे छू के जो जाती है
बसी है गन्ध सांसो में, ये वो पावन माटी है
चलेगा वीर जब माँ का तिरंगा थामे हाथो मे,
डिगेगा धीर दुश्मन का, इसे वो जब लहराता है
हवाओ की, है क्या औकात, जो लहराए तिरंगे को
इसे तो देश के सैनिक की सांसे ही लहराती है
हमारी शान का ये चिन्ह, हमारी आन का प्रतिबिंब,
जिसके तले सारी ही दुनिया खुद झुक जाती है
ये शांति का है बिम्ब, बनेगा विश्वगुरु एक दिन,
दमन को छोड़ कर, सहयोग का ये दीप दिखाता है
विभिन्नता है बहुत हममे सभी को ये समझता है,
बंधे है एकता के सूत्र मे ये भी दिखलाता है
हवाओ की, है क्या औकात, जो लहराए तिरंगे को
इसे तो देश के सैनिक की सांसे ही लहराती है
सपूतो का हैं ये सम्मान, वो मस्तक लगता है
हो सीमा पर या खेतों में, वो माँ का कर्ज चुकता है
बहा कर रक्त वो अपना, कहीं दुश्मन मिटाता है
वही वो खेत मे रहकर, पसीने से अपने फसलों को लहराता है
तिरंगे के वो लाले, तिरंगे के है वो पाले
पड़े जो वक्त तो खुद को मिटा दे इसपर जा देकर
मगर न आंच आने दे किसी भी तौर माता पर,
वतन पर मर के हम खुद लिपटकर इसमे जाएंगे,
लगा दे गैर गर जो हाथ तो हम तोड़ डालेंगे...
है मेरी माँ का है ये आँचल, तिरंगा जो कहलाता है
हवाओं की है क्या औकात, जो लहराए तिरंगे को
इसे तो देश के सैनिक की सांसें ही लहराती है।