तीन सत्तर
तीन सत्तर
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सत्तर सालों के दंश को
आज है मिटाया।
भारत के ताज को आज
गणतंत्र में मिलाया।
बलिदानियों के बलिदान
का आज हुआ सम्मान।
वर्षों के कलंक को मिटा
एक भारत बनाया।
एक राष्ट्र एक संविधान
होगा
भारत के नागरिकों का
सम्मान होगा
एक ध्वज फहराएगा
भारत में
एक ही राष्ट्रगान होगा ।