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Sunita Katyal

Abstract

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Sunita Katyal

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तेरी कितनी कीमत

तेरी कितनी कीमत

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जिन्दगी तेरी कितनी

कीमत चुकानी पड़ेगी मुझे

बड़ी मंहगी पड़ गई तू। 


बीसियों बरसों से

लाखों रुपए की कमाई

दवाइयों के रूप में तू खा गई।


तब भी तेरा पेट खाली ही है

फिर है तुझे कभी कभी दवाइयों की

दावत खाने का मन करता है।


ऐसे कब तक चलेगा

ऐ जिन्दगी आखिर तेरी कितनी कीमत

चुकानी पड़ेगी मुझे।   


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