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सतीश मापतपुरी

Romance

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सतीश मापतपुरी

Romance

तेरी आँखों में

तेरी आँखों में

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दिल की खुली किताब ,   सनम तेरी आँखों में ।

कितने दिलकश ख़्वाब ,  सनम तेरी आँखों में ।


जब मिलती हो शरमाती हो ,मन की क्यों नहीं सुनती हो ।

नन्हीं  नाजुक जान तुम्हारी ,  क्यों तन्हा  सब  सहती हो ।


नाहक  पले  हिजाब ,  सनम  तेरी  आँखों में ।

दिल की खुली किताब , सनम तेरी आँखों में ।


आँखें सच्ची दिल भी सच्चा , फिर ज़बान क्यों झूठी है ।

चाहत सच्ची हसरत सच्ची ,  फिर आदत क्यों झूठी है ।


पैबंद  जड़े नक़ाब ,  सनम तेरी  आँखों में ।

दिल की खुली किताब ,सनम तेरी आँखों में ।


तेरे बिना मेरे सपने घायल ,  कुछ टूटा सा लगता है ।

मेरे बिना तुम भी सोचो तो , कुछ छूटा सा लगता है ।


ज़ख़्मी  लाल गुलाब ,  सनम  तेरी आँखों में ।

दिल की खुली किताब ,सनम तेरी आँखों में ।


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