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Silu Patro

Abstract

4.3  

Silu Patro

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तेरी आंखे

तेरी आंखे

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उफ़... तेरी ये आंखे.............

 कुछ ना कहकर भी ......

बहुत कुछ कह जाती हैं .........

जब खुश होती हैं तब भी कहती हैं .............

(तेरी ये आंखे...........................)

दिल की हर जज़्बात को ................

आंसू से भर देती हैं ................ 

खुशी के हर एक पल को ..............

लम्हो से सजा देती हैं ...........

नजर से नजर झुका के..............

खामोश जाहिर करती हैं .........

नजर से नजर मिला के .................

प्यार जाहिर करती हैं ............

(तेरी ये आंखे..........................)

 तेरी दर्द भरे दिल के............

हर गम छुपा देती हैं ...............

तेरे चेहरे की रौंनक को............

खुशी से भरदे ती हैं .............

तेरी आंखे कुछ ना कहकर भी.............

बहुत कुछ कह जाती हैं ......................

(तेरी ये आंखे........................)

 जब भी मेरी नजर से मिले.............

कितना चाह ती हैं तू मुझे वो बात कह जाती हैं ...........

कितना तड़प ती मेरे बगैर ..............

वो बात भी जाहिर करती हैं ....................

तेरे हर सपने को ख्वाब से सजाती हैं ............

तेरी विते हर लम्हे को महफूज़ रखती हैं ...............

( तेरी आंखे..........................)

मेरी दिल की हर झूट को............

झट से पकड़ लेती हैं .............

दुनिया की हर सचाई को ..............

पल मैं पढ़ लेती हैं ..............

इस झुटी दुनिया से तुझे दूर रखने का वादा करके................

हर सुख दुख में तेरी साथ देती हैं ...........

उफ़......... तेरी ये आंखे................

 कुछ ना कहकर भी ................

बहुत कुछ कह जाती हैं .....................


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