दोस्ती
दोस्ती
दोस्ती निभाना ही ना था ...
तो दोस्ती करना ही क्यों था...
दोस्ती निभाना ही ना था....
तो दोस्ती करना ही क्यों था..
दोस्ती दोस्ती में हम इतना खो गये कि ....
हम आप की दोस्ती के लायक है कि नहीं भूल गए..
हम क्या करें ऐसे दोस्ती का...
जहां दोस्ती ही दोस्त को पसंद न आये..
शायद दोस्त ही तुम्हारा शौक था....
और हम दोस्ताना समझ लिए...
होता है बहुत नाजुक सा डोर...
रहता है हमेशा खोने का डर
हम तो डर रहे थी कहीं नजर ना लग जाए...
यहाँ तो तुम दोस्ती ही भूल गए..
दोस्ती की बाद डर गए थे हम
कही दूर ना चले जाओ तुम..
दूर जाने की तो बात अलग थी
दोस्ती ही तोड़ दी हो तुम...
हम तो दोस्ती में थे यार...
कसूर किया था हमारा..
तुम ही दोस्ती समझ ना पाए....
हर मोड़ पे छोड़ दिया अकेला....
बहुत अकेले है हम..
दोस्ती की याद में तुम्हारा....
देखना आएगा ऐसा दिन...
तुम भी याद करोगे दोस्ती हमारा..
जब तक याद आएगी हमारी ये दोस्ती..
कहीं देर ना हो जाये
जब आओगी दोस्त बनकर वापस ..
कहीं हम ही ना खो जाये
ज़िन्दा रहेंगे तब तुम्हारे दिल में..
इतना याद रखना.
है और रहेंगे तुम्हारे दोस्त बनकर हमेशा.
ये मत ना भूल जाना...
ज़िन्दा रहेंगे तुम्हारी दिल में हमेशा...
है तुम्हारे दोस्ती की कसम....
मर भी जाये तो कभी...
हमारा दोस्ती ना होगी खत्म...
