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Gayatri Gouda

Romance

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Gayatri Gouda

Romance

तेरे सपने, तेरी उड़ान

तेरे सपने, तेरी उड़ान

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दूर आसमान पर जब तूम उड़ान भर रही थी।

मेरा मन पिंजरे से निकल तेरे बाँहों से लिपट रही थी।।।


तुमसे मिल के दिशाओं में एक अपनेपन कि महक उठी है ।

ऐसा लगा जैसे मेरा अस्तित्व तुमसे ही बना है।।


तेरी अदा कुछ अलग तो नहीं है, फिर भी ख़ास लगती है।

सब थम सा जाता हे जब जब तू पास से गुज़रती है।।


ज़िन्दगी को खुल के जीने कि तेरी जो चाह है।

मेरे दिल मैं वो ख़ास जगह बना चुकी है।।


तेरी आँखों मैं वो जो हंसी रहती है, कुछ बात है।

जो तेरे दिल से निकल ज़ुबां पर आना चाहती हे।।


तुम मेरी हो नहीं सकती ये बात मालूम मुझे नहीं है।

मानो या न मानो तुम बिन जिंदगी लगती बेजान सी हे।। 


दुनिया वालों को परे कर दिया मैंने इस प्यार को समझने से।

तुम समझोगी, ऐसी कोई आस नहीं रखी है मैंने तुमसे।।


तुम्हें कोई चोट पहुंचे, ये मैं सह नहीं सकता।

तुम्हारे आँखों मैं फिर कभी आँसू आये, ये मैं देख नहीं सकता।।


इन चार दीवारों मैं उजाले की जो एक किरण आती है।

उसमें तुम्हारी यादों की महक आती हे।।


मौत अपने गोदी मैं बुलाने से पहले एक दिवस तेरे संग गुजारना चाहूँगा।

हर जनम मैं तुझे अपने जीवन संगिनी के रूप में पाने की आस रखूंगा।।


हर मौसम मैं तेरा रूप मैं ढूंढता रेहता हूँ।

हर रंग मैं तेरी खूबसूरती देखता रेहता हूँ।।


तुम्हारे लिए जीवन जाये तो जाये।

तुम्हारा सपना कोई तोड़ न पाए।।


अपनी उड़ान ज़रूर भरना, ये ही हर क्षण प्रार्थना करता हूँ।

दूर आसमान में तुम्हें उड़ान लेती हुई देखना चाहता हूँ।।


तेरे सपने, तेरी उड़ान और क्या चाहिए, कुछ भी तो नहीं।


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