तेरा होना चाहूँ
तेरा होना चाहूँ
तू इतनी बला की खूबसूरत है कि
गर कोई तेरा ज़िक्र भी करता है तो...
बिना इत्र के ही महकने लगता हूँ मैं
हरबार कोशिश यही होती है मेरी
की दूर रहूँ तेरे इन जलवो से...लेकिन
कमबख्त ये दिल है कि सुनता नहीं मेरी
कहते है जो एकबार पसंद आ जाये
वो हमारे जहन में से कभी नहीं जाता
फिर ये तो अपनेआप में बेमिसाल है..!
अब तो यही तलब रखता हूं में
तेरे इन आशिक पे कुछ
इस कदर महेरबान हो जा
की ताउम्र तेरा ही बनकर रहूँ में..।

