तब मैं देशदूत बन जाता हूँ......
तब मैं देशदूत बन जाता हूँ......
तब मैं देश दूत बन जाता हूँ
जब मिट्टी का तन,
मिट्टी में मिलने की जिद करता है,
तब माटी स्वयं चंदन तिलक बनती,
और मैं देश का पारस बन जाता हूँ,
तब मैं देश दूत बन जाता हूँ-------
वर्दी जब तन का साज बनती है,
श्वेत- खाकी- फौजी- केसरी ज्यों पुष्प सजते थाल मेंं,
शस्त्र स्वयं पूजन सामग्री बन जाते हैं,
तब हम देश दूत कहलाते हैं......
जब कर्तव्य-पथ बनता अग्निपथ,
तब भी तनिक न मेंरे पग विचलित होते,
प्रकृति- नियति- दुश्मन ने कितने भी हो रचे चक्रव्यूह
तब भी भेदन कर विश्व विजय कर जाते,
इसीलिए मैं देश दूत कहलाता....
जब तिरंगा स्वतः मुझसे लिपट जाता,
भारत माता जीत का सेहरा बांधती,
कंठ समंदर का भी सूख जाता,
जब शहादत पर मेरी जननी अंतिम आरती उतारती ,
तब मैं देश दूत बन कर आसमाँ में इतराता हूँ...... ।
