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DEVSHREE PAREEK

Inspirational

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DEVSHREE PAREEK

Inspirational

स्वप्निल ऊंचाइयाँ…

स्वप्निल ऊंचाइयाँ…

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तेरे मेरे बीच, ये क्या चलता है

कोई रिश्ता, बिना संबोधन ही पलता है…

परायों की तरह, जीते रहे सालों

फिर भी अजनबी, मेरे साथ- साथ चलता है…

कुछ स्वप्निल ऊंचाइयाँ, छूनी है हमें

देखते हैं दोनों में से, कौन आगे निकलता है…

बुनती रही सपनों को, आस की डोर से

बुनते- बुनते हक़ीक़त से, हर सिरा उलझता है…

क्या करना है मेरे हासिल का, हिसाब करके

ये दिल तो रोज़, उस सौदागर के हाथों बिकता है.


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