स्वच्छांजलि
स्वच्छांजलि
जब मन में स्वच्छता का वास हो,
जब इस समाज की उन्नति हेतु
कुछ अच्छा करने को मन में उल्लास हो,
जब इस देश की हरेक कोने में
स्वच्छ दल का विकास हो,
तभी हमारे भारत का उत्कृष्ट प्रदर्शन
इस विश्व दरबार में संभव है।
महात्मा गांधी जी की स्वच्छता सेवा...
पखाना साफ करने भी
पीछे नहीं हटने की
उनका अदम्य सेवा-भाव...
मानवीय संवेदनाओं को
पूरा मान देने की
उनकी अप्राण चेष्टा..
अपना स्वार्थ त्याग कर
परदुःखकातरता से परसेवा में
उनका अनन्य निदर्शन
हम सबको आत्मशक्ति देता है...!
आज इस प्रदुषित समाज को
स्वच्छांजली की बहुत आवश्यकता है...
देश के कोने-कोने में
निस्वार्थ भाव से एकजुट होकर
प्रधानमंत्री जी के आह्वान को
अपनी बुलंद आवाज़ देकर
चलिए, हम सब मिलकर
इस धरती माँ को
अपना पूर्ण स्वच्छांजली दें...!!!