सवाल जिंदा है
सवाल जिंदा है
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दौर कोई भी हो ये सवाल जिंदा है
खौफ़ दहशत का ख्याल जिंदा है
अखबारों की आँखें सुर्ख़ है आज
हर बस्ती शहर में बवाल जिंदा है
फ़रेब है उनके शब्दों की बाजीगरी
उजले से घर में मायाजाल जिंदा है
जिधर चलो आँखें खिंचती है कपड़े
हर में दुशासन का कंकाल जिंदा है
ये मोमबतियाँ चीत्कार रही है देखो
जैसे सदियों से कोई मलाल जिंदा है
हर शहर में मिलते है अख़बार रंगे
होना कुछ नहीं हालचाल जिंदा है
कैसा न्याय है मालिक ये मुल्क का
हत्यारों के लिए भी दलाल जिंदा है