सुरशक्ति
सुरशक्ति
कुछ पंक्तियाँ तेरे नाम
और कुछ मेरे,
दोंनो के अधरों पर
मेरे शब्द हुए घनेरे।
कुछ रिक्त हैं
कुछ पूर्ण हैं,
आपके विचारों के भीतर एक घूमता हुआ भ्रूण है।
तुम शब्द गणों मैं अक्षर,
दोनों के विचारों से साहित्य होगा साक्षर।
तुम वृहद लिखो मैं अल्प,
तुम वाक्य बनाओ मैं काव्य।
साहित्य की सृष्टि का श्रृंगार कर,
इस साहित्य को कर दो सब कुछ अर्पण।
अभी शेष है
अरे!
बहुत कुछ शेष है
लिखो-लिखो-लिखो
और साहित्यिक सृष्टि में
अपना भरपूर योगदान करो !!