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Vivek Agarwal

Inspirational

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Vivek Agarwal

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सुनो तुम आत्महत्या से कभी हित हो नहीं सकता

सुनो तुम आत्महत्या से कभी हित हो नहीं सकता

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सुनो तुम आत्महत्या से कभी हित हो नहीं सकता।

तनिक परिवार की सोचो पराश्रित हो नहीं सकता।

जो पीड़ा है भरी मन में किसी से तो वो कह लेना,

सहन करने की सीमा है असीमित हो नहीं सकता।

कि अवसादों की अग्नि में मिले थोड़ी सी शीतलता,

विभाजित जो करे दुख को तिरस्कृत हो नहीं सकता।

तपे जब स्वर्ण अग्नि में चमकता और बन कुंदन,

बिना संघर्ष के मानव सुशोभित हो नहीं सकता।

भले दुष्कर समस्या हों प्रयत्नों से मिलेगा हल,

चुने संघर्ष पथ को जो पराजित हो नहीं सकता।

नहीं मिलता किसी को सब सभी के स्वप्न अधूरे हैं,

रखे संतोष मन में जो वो लज्जित हो नहीं सकता।

नहीं सोना नहीं चांदी नहीं हीरे की कीमत वो,

अधिक कीमत समय की है जो संचित हो नहीं सकता।

निराशा छोड़ आशा का चयन करना उचित होता,

विषैले नाग के अंदर तो अमृत हो नहीं सकता।

बुझी लौ मन के मंदिर में जला दीपक तू दोबारा,

न दिल कोई जो दोबारा प्रकाशित हो नहीं सकता।

सभी ज्ञानी ये कहते हैं समय होता है बलशाली,

जो परिवर्तन को ना माने वो पंडित हो नहीं सकता।

भले काली अभी रातें उजाला भोर का होगा,

समय का चक्र शाश्वत है वो खंडित हो नहीं सकता।

कमा सकते हैं सब कुछ फिर पुनः कोशिश करें जो हम,

तजे जो प्राण इक बारी तो जीवित हो नहीं सकता।

रखो विश्वास जब तुमको प्रभा 'अवि' की नहीं दिखती,

घने मेघों में मुस्काता वो कल्पित हो नहीं सकता।



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