सुनो आज फिर एक बेटी का रेप हुआ है !!
सुनो आज फिर एक बेटी का रेप हुआ है !!
कुछ बातें कहनी है, कुछ सुननी है !!!
आज इस त्योहारों के देश में मानो
कोई नया त्योहार सजा है,
बधाई हो भारतवासियों,
आज फिर एक बेटी का रेप हुआ है!!
बूढ़े माँ बाप ने फिर एक बार अंधी सरकार को बताया है ,
ज्यादा कुछ तो नही बस इंसाफ ही तो माँगा है,
हर बार की तरह अबकी बार भी रॅलियाँ निकली है ,
और जोरों-शोरो से नारे लगाए हैं ,
इंसाफ की आवाज फिर एक बार कुचल कर रख दिया है,
सरकार के पास सत्ता है ,
समाधान नही!!
वो लोग होते ही हैं जिस्म के भूखे
जहाँ दिख जाए बस वही लार टपकाए !!
इंसान कहै भी तो कैसे उनको,
वो इंसान के रूप मे छुपे हैवान होते हैं,
आते भी हैं तो एक साथ झुंड में,
अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर ,
ना दिल होता है ना दिमाग बस जो हाथ लग जाए,
उसे नोंच लेते है भेडियों कि तरह ,
दरिंदगी कि सारी हदें पार कर जाते हैं,
ना समझते है न समझने देते हैं!!
मत पूछो किसकी बेटी थी,
बस नोंच लो उन आँखो को,
जिसकी नजरे माँ-बहनों को आबरू लुटाने में उठ जाए,
बाँट दो उनके शरीर को हजारों टुकड़ों में
खिला दो गलियों के कुत्तों को!!
शायद उन दरिंदों के हाथ कांप जाए!!
शायद कल को हमारी एक बेटी बच जाए ! !