सुन साथी
सुन साथी


बेमकसद सी ज़िंदगी को
एक मकसद दे साथी
मैं नहीं हूँ तेरी मंज़िल
अपनी मंज़िल कुछ और
बना साथी
सिर्फ अंधेरों के सिवा
मेरे साथ तुझे कुछ
मिलेगा नहीं
दूर होकर मुझसे
नयी रौशनी को अंगीकार
कर साथी
ज़िंदगी बेहद ख़ूबसूरत है
उसे यूँ ही न जाया कर साथी