सुन रे मेरे विकल मन
सुन रे मेरे विकल मन
बुझ जायेगी जीने की प्यास अगर तट पर,
तब शेष हो जाएगी दीर्घ संघर्ष की अकुलाहट !
सुन रे मेरे मन, तू अब मत भटक इधर उधर,
ईमानदारी व परिश्रम का सीधा रास्ता तू पकड़ !
यह रास्ता तुझे अवश्य मंज़िल तक ले जायेगा,
वरना तू तलाश में रहता जायेगा इस रहगुजर !
चाहे कोई विकट कठिनाई आए रास्ता ना बदल,
सफलता तेरे कदम ज़रूर चूमेगी तू ना हो विकल !
दुःख तकलीफ से जब कभी तुम्हारा जी घबराए,
अपने मन की शक्ति से जीवन पथ आलोकित कर !