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Rishikesh Jain

Romance

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Rishikesh Jain

Romance

सुकून

सुकून

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मेरी तनहाइयों से वो पुछा करती है

तेरी दास्तान ये ज़ख्म गिला करती है

अक्सर रातों में दूरियां सवाल करती है

मुहब्बतों में बिछड़ना जुदा होना ये

अदा तुम कहाँ से लाती हो

अगर वो दे दे इश्क में सुकून से महरूम तो

हर किसी को इश्क में मरना नसीब कहाँ होता है 


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