सुखी जीवन का राज-सुधरा हुआ आज
सुखी जीवन का राज-सुधरा हुआ आज
अक्सर वर्तमान को संवारने की बजाय,
खोजते हैं आगामी या आने वाला कल।
संभावित काल्पनिक समस्याएं हमको,
या बीती असफलताएं कर देती हैं विकल।
जब हम करते हैं उन सब बीते दिनों की याद,
नहीं मिल पाते थे उस समय के सटीक हल।
पर आज की समस्याएं लगती हैं जटिलतर,
अब अतीत के लम्हे आज लगते सतरंगी पल।
बचपन में बड़ों की डांट फटकार पर सोचते थे,
कल बड़े होंगे तो खुद हो जाएगी समस्या हल।
अधिक जटिलता लिए आईं नई-नई समस्याएं,
केवल यादों में हैं मधुरिम बचपन के बीते पल।
वर्तमान है जीवन की पुस्तक का खुला वाला पेज,
भविष्य जो पलटा जाएगा पलटा बीता हुआ कल।
बीते कल से सीख आने वाले कल पर सूक्ष्म दृष्टि,
रखते हुए सर्वोत्कृष्ट लिखकर वर्तमान करें सफल।
जीवन नहीं है सेज फूलों की और न है कांटों का ताज,
सुख-दुख आते-जाते रहते जाता ऐसे जीवन निकल।
हम प्रेरित हो अनुकरणीय सत्कर्म करते रहें अनवरत,
खुश रहकर खुशियां ही बांटें हो हर पल ही सतरंगी पल।